Madhu Arora

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ठंड बढ़ी है

बंद दरवाजा

ठंड बडी है माह जनवरी,
जानम दरवाजा खोल दो।
ठंड से मैं तो सिकुड़ रहा हूं,
अब तो दरवाजा खोल दो।

भूलू ना मैं बात तुम्हारी,
अब तो माफ कर दो जी।
गलती हो गई भूल गया जो,
ला दूंगा कल साड़ी जी।

अब तो दरवाजा खोल दो।

लाया हूं देखो गजरा,
बालों में तेरे लगाने को।
ठंड ठंड से कांप रहा हूं,
अब तो तुझे मनाने को।

ठंड बढ़ी है माह जनवरी,

शीत हवाएं  भारी जी
दरवाजा खोल दो मेरी रानी जी
प्रीत में क्रोध अच्छा नहीं
पकडूं कान माफी दे दो जी।

अब तो दरवाजा खोल दो।

सुबह-सुबह में चाय बना दूं,
पकोड़े भी तल दूंगा जी।
दरवाजे के बाहर खड़ा हूं,
अब तो कान पकड़ता जी।

माह जनवरी ठंड बढ़ी है 

जान हो तुम सबसे प्यारी
ठंड से ना मरवाओ जी
कहो तो मैं पैर दबा दूं
अब तो दरवाजा खोलो जी।।
          रचनाकार ✍️
          मधु अरोरा
      हिंदी दिवस 
       
   

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7 Comments

Suryansh

29-Sep-2022 06:26 AM

बहुत ही उम्दा लिखा है

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क्या बात है,,, लाजवाब लाजवाब लाजवाब,,, पहली लाइन में बड़ी है या कि बढ़ी है होगा

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Swati chourasia

20-Sep-2022 01:20 PM

Very nice

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